एक दम
खाटी पश्मीना
जिसे खरीदा था तुमने
कश्मीर से
नेफ्थलीन
की गोलियों के संग
सहेज कर रखती थी तुम
बड़े जतन से
कितने चाव से
पहनती थी तुम
सोहणा लगता था
तुम्हारे बदन से
बड़ा ही नरम
और मुलायम
लगा कर रखती थी
तुम बदन से
कश्मीरी बाला लगती
पहन कर पश्मीना
जैसे ढका हो गुलबदन
फूलों से
मैं जब कहता
लगालो काला टीका
शरमा जाती तुम
ढाँप लेती चेहरा
हाथों से
अब कौन करेगा जतन
पड़ा रहेगा अलमारी में
कुरेदता रहेगा मेरी यादों को
नहीं होने देगा विस्मृत
मेरे मन से।
पेज संख्या ---79
खाटी पश्मीना
जिसे खरीदा था तुमने
कश्मीर से
नेफ्थलीन
की गोलियों के संग
सहेज कर रखती थी तुम
बड़े जतन से
कितने चाव से
पहनती थी तुम
सोहणा लगता था
तुम्हारे बदन से
बड़ा ही नरम
और मुलायम
लगा कर रखती थी
तुम बदन से
कश्मीरी बाला लगती
पहन कर पश्मीना
जैसे ढका हो गुलबदन
फूलों से
मैं जब कहता
लगालो काला टीका
शरमा जाती तुम
ढाँप लेती चेहरा
हाथों से
अब कौन करेगा जतन
पड़ा रहेगा अलमारी में
कुरेदता रहेगा मेरी यादों को
नहीं होने देगा विस्मृत
मेरे मन से।
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