जब मन खोया-खोया रहता है
चैत की चाँदनी सा सुख देती
तुम्हारी यादें
जब दुःख के बादल गहराते हैं
दीप्त तारे सी लगती
तुम्हारी यादें
चैत की चाँदनी सा सुख देती
तुम्हारी यादें
जब खामोशियाँ रुलाती है
जीवन का सम्बल बनती
तुम्हारी यादें
जब दुःख के बादल गहराते हैं
दीप्त तारे सी लगती
तुम्हारी यादें
जब तन्हा दिल पुकारता है
रात रानी सी गमकती
रात रानी सी गमकती
तुम्हारी यादें
कितना कुछ जीता है मुझमें
अनमोल सौगातें हैं
अनमोल सौगातें हैं
तुम्हारी यादें
लौट आओ न एक बार
फिर उसी तरह
जिस तरह मुड़-मुड़
लौट आती है तुम्हारी यादें।
पेज संख्या -----78
लौट आओ न एक बार
फिर उसी तरह
जिस तरह मुड़-मुड़
लौट आती है तुम्हारी यादें।
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