Saturday 10 December 2016

एक बार फिर से

रिमझिम फुहारों में
मन भीगना चाहता है
तुम्हारे संग
एक बार फिर से

धरती की उठती महक में
मन भरना चाहता है
तुम्हें अपनी बाहों में
एक बार फिर से

भीगी घास पर
मन दौड़ना चाहता है
नंगें पाँव तुम्हारे साथ
एक बार फिर से

सावन की बरखा में
मन झूमना चाहता है
मस्ती में तुम्हारे साथ
एक बार फिर से

बसंती बहारों में
मन खेलना चाहता है
होली तुम्हारे संग
एक बार फिर से

मेरे प्यार की पनाहों में
हो सके तो लौट आओ
एक बार फिर से।



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