Sunday 18 December 2016

क्षणिकाएं --तुम्हारे लिए

क्षणिकाएं --तुम्हारे लिए 


अँखियां ढूंढें
तुमको चहुँ ओर
सजनी आओ।

तुम्हें पुकारा
आवाज लौट आई
तुम न आई।

तुम्हें बुलाने
कहाँ भेजु सन्देश 
बताओ मुझे।

दिल पुकारे
सर्द ठंडी रातों में
आ जाओ अब।

ढूंढ रही है
तुम्हे मेरी कविता
कहाँ हो तुम।

ठहर गई
मेरी जिंदगी आज
तेरे जाने से।

तुम्हें खो कर
अपना सुख चैन
खो बैठा हूँ मैं।




पेज संख्या ---91

No comments:

Post a Comment