पचास ऋतुचक्रों को समर्पित
इस जीवन के संग-सफर में
आज हर एक मोड़ पर
मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा
जरुरत है।
पर मैं जानता हूँ
अब इस जीवन में
तुम मुझे कभी नहीं मिलोगी।
मैं चाह कर भी
तुम्हारी कोई झलक
कोई आवाज, कोई खबर
नहीं ले पाऊंगा।
फिर भी मैं तुम्हें
हर मौसम
हर महीने
हर सप्ताह
हर दिन
हर लम्हा
पूरी उम्र भर
इस जीवन के सफर में जीवूंगा।
page sankhya --९८
इस जीवन के संग-सफर में
आज हर एक मोड़ पर
मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा
जरुरत है।
पर मैं जानता हूँ
अब इस जीवन में
तुम मुझे कभी नहीं मिलोगी।
मैं चाह कर भी
तुम्हारी कोई झलक
कोई आवाज, कोई खबर
नहीं ले पाऊंगा।
फिर भी मैं तुम्हें
हर मौसम
हर महीने
हर सप्ताह
हर दिन
हर लम्हा
पूरी उम्र भर
इस जीवन के सफर में जीवूंगा।
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