Monday 19 December 2016

बेबसी का जीवन

बेबसी का जीवन 

नहीं मरनी चाहिए
पति से पहले पत्नी
भीतर-बाहर
सब समाप्त हो जाता है।

घर भी नहीं लगता
फिर घर जैसा
अपने ही घर में पति
परदेशी बन जाता है।

बिन पत्नी के
पति रहता है मृतप्रायः
निरुपाय,अकेला
ठहरे हुए वक्त सा और
कटे हुए हाल सा।

घर हो जाता है
उजड़े हुए उद्यान सा
बेवक्त आये पतझड़ सा।

ढल जाती है
जीवन की सुहानी संध्या
अधूरा हो जाता है
बिन पत्नी के जीवन।

अमावस का अन्धकार
छा जाता है जीवन में
बेअर्थ हो जाता है
जीना फिर जीवन।


page sankhyan -----96



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