Sunday 18 December 2016

तुम सदा मेरे साथ रहोगी

इस जीवन में अब तुम से
मिलना नहीं होगा लेकिन
जीवन के हर पल में
तुम सदा मेरे साथ रहोगी

बारिश की रिमझिम में
सर्दी की गुनगुनी धुप में
मुस्कराते बसंत में
तुम सदा मेरे साथ रहोगी

मेरे सपनों के आकाश में
मेरी कविताओं के भाव में
परिंदों के चहचहाते स्वर में
तुम सदा मेरे साथ रहोगी

मेरी बातों में
मेरी यादों में
मेरे मन के भावों में
तुम सदा मेरे साथ रहोगी

मेरी तो सुबह भी तुमसे होगी
साँझ भी तुम से ढलेगी
जिन्दगी के राहे-सफर में
तुम सदा मेरे साथ रहोगी।




page sankhya----100





No comments:

Post a Comment