एक दिन साथ-साथ
एक दिन हम
गीता भवन के घाट पर
गंगा में नहाएंगे साथ-साथ
गंगा बदरीनाथ से आगे
गंगोत्री से निकलती है
इसे हम जानते हैं और
न भी जानते तो भी क्या
साथ-साथ नहाना तो हमें
अच्छा ही लगेगा
नहाने के बाद
करेंगे पूजा गंगा की और
चलेंगे नाश्ता करने
गीता भवन की
मिठाई की दुकान पर
शाम का खाना हम
चोटिवाले के यहाँ खाएंगे
आइसक्रीम खाने चलेंगे
नौका में बैठ मुनि की रेती
लौटते समय
राम झूला पर खिलाएंगे
चने बंदरों को
आटे की गोलियां डालेंगे
मछलियों को
बालूघाट पर
खोदेंगे गीली,नरम रेत
और निकालेंगे गंगा का स्रोता
घर लौटते समय
तुम देना अपना हाथ
मेरे हाथ में और
उड़ेलना ह्रदय का प्यार।
page sankhya ------87
No comments:
Post a Comment